मानवाधिकार सुरक्षा एव संरक्षण आर्गनाइजेशन
संस्था - एक परिचय
मानवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण आर्गनाइजेशन जो कि एक गैर सरकारी संस्था है का गठन सन 2008 में भारत सरकार के U. S .R ACT of XX1 1860 के नियमानुसार हुआ था। तब से संस्था भारतवर्ष के अधिकतर राज्यो में अपनी शाखायें खोल चुकी है तथा आगे बढने के लिये निरंतर अग्रसर है।
मानव अधिकारो की व्युत्पत्ति, विकास और अंतर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय विधिक मान्यताओं के बारे में जिन लोगों ने पढ़ा है वे जानते है कि मानव अधिकार आयोग एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है। जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विधिक मान्यता एवं स्थान प्राप्त है। सभी सदस्य राष्ट्रो ने अपने देश में, प्रांतो में राष्ट्रीय एवं प्रांतीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना करके इसे व्यापकता और मान्यता दी है। तथा इन्हे अपने देश की भौगोलिक संस्कृतिक, सामाजिक मान्यता राजनैतिक परिस्थितियों और संविधान के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता, विधिक मान्यता और न्यायिक शक्तियाँ देकर सक्षम बनाया है राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के तत्वाधान में प्रांतीय आयोगो का गठन करने, समन्वय रखने तथा समस्याओं के निराकरण करने की शक्तियाँ प्रदान की है। यहा तक कि देश के हर जिले में मानवाधिकार संरक्षण न्यायालयों की स्थापना का प्रस्ताव है। जब तक स्थापित नही होते तब तक सिविल न्यायालयो को बाद सुनने एवं निर्णय देने की व्यवस्था है।
इन आयोगो को अपने उद्देश्यों, कार्यो, मानवाधिकार के संरक्षण हेतु जन मानस को अधिकार के प्रति जागरूक करने, प्रचार प्रसार करने के लिये समस्त आधुनिक प्रचिलित संसाधनों, मीडिया और मानव अधिकार संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रही गैर राजनीतिक संस्थाओं को आयोग द्वारा प्रोत्साहन से आयोग की पहुच जन-जन तक होती है। अतः कहा जा सकता है कि मानवाधिकार सुरक्षा एंव संरक्षण आर्गनाइजेशन इसकी ही एक सहायक,गैर राजनीतिक और गैर सरकारी संस्था है। जो अपने उद्देश्यो कार्यों और क्षेत्रों में उपसमितियों के गठन से मानवाधिकार, समाज सेवा एवं भारतीय की जन जनमानस की समस्याओं के निराकरण में अपने सहयोग और प्रयासो का उद्घोष करती है।
मानवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण ऑर्गेनाइजेशन शासन द्वारा प्रदत्त सुविधाओं के प्रति समाज को जागरूक करना, प्राप्त करने के लिये प्रेरित करना एवं क्रियांवायन के लिये मार्ग प्रशस्त करने का कार्य करके शासन को सहयोग प्रदान करती है। साथ ही संस्था समाज को न्यायायिक, नैतिक और संवैधानिक दायित्वों का बोध कराकर मार्ग दर्षन करके समाज सेवा भी करती है।
विजन (Vission):
सभ्यता के विकास के साथ आत्मनिर्भरता और मानव-समाज के बीच परस्पर सम्मान, सहयोग, सदभाव, प्रेम और समन्वय की अपेक्षा रहती है। सामाजिक विकास की भटकी दिशा के कारण मानवीय गरिमा आहत हुई है। मानवीय मूल्य क्षत विक्षत हुये है। एम.एस.एस.ओ की दृर्षट है कि सभी संकीर्णताओं और भेदों से परे राष्ट्र और गरिमापूर्ण वातावरण में सुरक्षित और सम्मान से रह सके। एम.एस.एस.ओ की यही संकल्प है।
मिशन (Vission) लक्ष्य:
एम.एस.एस.ओ मानवाधिकारों की गरिमा को अक्षुण्य रखते हुये समाज के प्रत्येक वर्ग को सुरक्षा, सम्मान, आजीविका के अवसर स्वास्थ्य और परस्पर सदभाव के लिये समर्पित है। एम.एस.एस.ओ का प्रथम और अंतिम मिशन मानवीय मूल्यों की सुरक्षा है। मिशन के अंर्तगत वंचितों को अधिकार मिलें। पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधन और जीवनोउपयोगी घटकों के साथ नैतिक मूल्यों की मजबूती ही लक्ष्य है। समाज और राष्ट्र में राष्ट्रीय एकता को सशक्त कर राष्ट्र में प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी भी सुनिश्चित हो।
आमंत्रण
1. यदि आप अनैतिकता, अन्याय, शासकीय तंत्र की उपेक्षा तथा राजनैतिक भूलभुलैया से ऊब चुके है। यदि आप मानते है कि प्रत्येक शासन राष्ट्र के निवासियो को सुविधा, सुरक्षा, समृद्धि और प्रगति में समन्वयक अनेक अन्यायकारी, लोपोपकारी योजनाओं का संचालन करता है। जो हर व्यक्ति का यथा समय यथा मात्रा में मिलना चाहिये।
2. यदि आप जियो और जीने दो के सूत्र को स्वीकार करते है
3. यदि आप नैतिक और न्यायायिक जीवन जीने में समाज की शुद्ध मन से मदद करना चाहते है।
4. यदि आप संविधान में वर्णित अधिकार एवं शासन द्वारा प्रदत्त सुविधाये हर नागरिक को यथा समय यथा मात्रा में दिलाना चाहते है।
5. यदि आप धैर्य विवेक और साहस से न्यायोचित आचरण द्वारा समाज में चेतना लाना चाहते हो।
6. यदि आप समाज के अषक्तो, अनाथो, उपेक्षितो की सेवा तथा कर्मठ ईमानदार, परोपकारी प्रवृत्तियों-व्यक्तियों को प्रोत्साहित और पुरस्कृत करना चाहते हो।
तो आइये ‘‘मानवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण आर्गनाइजेशन आपकी भावनाओ को क्रियांवित स्वरूप देने, प्रकटीकरण के अवसर, मंच साधन, समर्थन, सहयोग प्रदान करने के लिये आपका स्वागत करता है, आपको आमंत्रित करता है।
यह एक सचेतक संस्था है जो गैर सरकारी गैर राजनीतिक, समाज और राष्ट्र सेवा में संकल्पित संस्था है जो समाज को सचेत करती है कि तुम्हारे क्या कर्तव्य है और क्या अधिकार है। शासन को सचेत करती है कि किसी नागरिक के संवैधानिक अधिकारो का हनन न हो तथा शासन द्वारा निर्धारित एवं प्रदत्त साधन सुविधाये सभी को यथा समय यथा मात्रा में उपलब्ध हो। प्रषासनिक तंत्र को सचेत करती है कि नागरिक के हितों में बाधक और बाधाओं को शीघ्र दूर करके सर्व सुलभ बनावे। जनहित के लिये संस्थान धैर्य, विवेक और साहस से बैधानिक रूप से सतत संघर्षरत रहा है।
संस्था सभी नागरिकों को विष्वास दिलाती है कि अन्याय शोषण और उत्पीड़न की पीड़ा से भरी उनकी आवाज को दूर तक ले जाने में समाज का कोई भी व्यक्ति अकेला नही है। चाहे वो स्त्री हो पुरूष, किसी भी जाति, धर्म, वर्ग, क्षेत्र और किसी भी राजनीतिक विचार धारा का हो संस्था सदैव न्यायोचित कार्यो में आपके साथ है।
संस्था के उद्देश्य -
1. भारतीय संविधान में प्रदत्त मानवाधिकारो का संरक्षण एवं कर्तव्यो का प्रशिक्षण
2. जन समस्याओं का निस्तारण, विधि कारण बताओ नोटिस से लेकर माननीय स्थानीय न्यायालय, उच्च न्यायालय, सर्वोचच न्यायालय से लेकर मानवाधिकार आयोग तक शीघ्र निस्तारण के लिये जनमानस का सहयोग एवं प्रयास
3. मानवाधिकारों का हनन एवं उसकी सुरक्षा आज के सबसे चर्चित विषय है। दुर्भाग्य यह है कि इन अधिकारो की सुरक्षा का दायित्व सरकारी शासन तंत्र पर है और आज इन्ही के द्वारा इसका उल्लंघन किया जा रहा है। इससे अधिक दुर्भाग्य यह है कि जनता ये ही नही जान पाती कि उसके अधिकारो का हनन भी हो रहा है। और जो लोग ये समझ भी जाते है उनको ये नही मालूम होता है कि उनके अधिकारो का हनन होने पर वो कहा शिकायत करे। भारतीय न्यायालयो पर मानवाधिकारो की सुरक्षा का दबाब निरन्तर बढ़ रहा है। जनहित याचिकाये इसका स्पष्ट प्रमाण है।
4. सुदृढ़ लाॅ डिवीजन की उपलब्धि आदि सुविधाओ से युक्त मानवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण आर्गनाइजेशन समस्याओं के निस्तारण हेतु समस्त जन मानस एवं कर्मठ कार्यकर्ताओ एवं नवयुवक एवं नवयुवतियो से आवाहन करता है कि आप हमे सहयोग दे हम आपको अधिकार एवं न्याय दिलायेगे।
5. गाँव-गाँव, गली -गली में जन-जन में अपने अधिकारो, कर्तव्यों और शासन की अन्यायकारी योजनाओ का प्रचार-प्रसार हो तथा सभी उसका लाभ उठा सके।
6. आतंक, शोषण, अत्याचार, दुराचार, हिंसा और अपमान से पीड़ित व्यक्ति अपनी व्यथा का निवेदन संस्था के माध्यम से राज्य मानवाधिकार आयोग एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुच सके।
7. संस्थान की इकाइयां स्थानीय स्तर पर असंवैधानिक, अनैतिक आतंकित करने वाली नीतियाँ, सामाजिक विधानकारी प्रवृत्तियों जन स्वास्थ्य और सुविधा उपेक्षा करने वाले कार्यो, व्यक्यिों के अधिकार और सम्मान के विरूद्ध किये जाने वाले आचरणो, समाज को दी जाने वाली सुविधाओं को यथा समय यथा मात्रा न वितरित करने वाले घटको की क्रियाओ, नीतियो का स्थानीय इकाइयां या तो स्वयं संज्ञान में लेकर या पीड़ित व्यक्ति द्वारा आवेदन करने पर या लेकतंत्र के चैथे स्तम्भ तथा समाज और राष्ट्र के दर्पण कहे जाने वाले मीडिया के माध्यम से संज्ञान में लेकर स्थानीय स्तर पर विरोध करती है। समाधान प्राप्त करने के लिये प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक प्रयास करती है।
8. पर्यावरण सुधार हेतु पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन छोटे स्तर से बड़े स्तर तक करना, इसके लिये वेविनारो का आयोजन करना, वृक्षारोपण कार्यक्रमो का आयोजन इस प्रकार करना कि अधिकतर पौधे जीवित रहे।
9. शिक्षा क्षेत्र में निरंतर सुधार हो ऐसी व्यवस्था बनाये मलीन वस्तियों में स्ट्रीट स्कूल खोलकर कूड़ा कचरा या शिक्षा विहीन बच्चों को शिक्षा से जोडकर आर.टी.ई. के तहत स्कूलों में दाखिला करवाना एवं उनकी शिक्षा की समुचित व्यवस्था करना साथ ही ऐसे बच्चे जो शिक्षा से विहीन है उनको शिक्षा की व्यवस्था करना/करवाना।
10. स्वास्थ्य, पर्यावरण और बेरोजगारी उन्मूलन के लिये सामाजिक समन्वय, अंध विश्वास, दहेज उत्पीड़न आदि समस्याओ के समाधान के लिये संस्थान समय समय पर गोष्ठिया वार्ताओ और प्रशिक्षण शिविरो के आयोजनो द्वारा जागरूकता लाने के मानसिक, वैचारिक और व्यवहारिक प्रयास करती है।
11. स्वास्थ्य सम्बंधी मानवाधिकारो को संरक्षण प्रदान करना
12. महिलाओ को उचित न्याय दिलाने एवं विधिक सहायता दिलाने हेतु एक विधिक समिति है जिसमें जिला न्यायालय से ले करके उच्चतम न्यायालय तक के वरिष्ठ अधिवक्ता शामिल है।
13. परिवारिक मामलो की सुनवाई के लिये परिवार परामर्ष केन्द्रों की स्थापना की जा रही है जिसमें अनुभवी परामर्शदाता, विधिक विशेषज्ञ, मनोचिकित्सक आदि विशेषज्ञ होते है। जिनका उद्देश्य संस्था के माध्यम से टूटते एवं विखरते परिवारो को एकजुट करना है।
14. बच्चो के संरक्षण के लिये संस्था अग्रिणी भूमिका निभाती है। संस्था बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्ति कराने के लिये निरंतर अभियान चलाती है। बच्चो को उचित शिक्षा का प्रबंध, उनके चौमुखी विकास हेतु प्रषिक्षण कार्यक्रमो का आयोजन करवाती है। बच्चो को भिक्षावृत्ति से मुक्ति दिलाने हेतु निरंतर प्रयास करती है।
15. वृद्धजनों के संरक्षण हेतु, परिवार द्वारा परेशान किये जाने पर उनको कानूनी मदद देने के साथ उनके रहने, खाने, दवाओ की व्यवस्था करवाना था उनको वृद्धा आश्रम में रखवाने का कार्य कानूनी प्रक्रिया द्वारा किया जाता है।